करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन (अ.स.)

करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन (अ.स.)

करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन (अ.स.)

Publish number :

दूसरा

Publication year :

2014

Number of volumes :

1

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करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन (अ.स.)

यह पुस्तक इमाम हसन मोज्तबा (अ.स.) के जीवन पर चर्चा करती है। परंपराओं और हदीसों के अनुसार, इमाम हसन मोजतबी (अ.स.) को करीम अहल अल-बैत कहा जाने का मुख्य कारण यह है कि इमाम हसन मोजतबी (अ.स.) समाज में गरीबों और गरीबों के प्रति बहुत दयालु थे, और वह बहुत सहानुभूति रखते थे। गरीबों और गरीबों के साथ वे कम आय वाले लोगों के साथ गए और उनके दिल की व्यथा को पूरे दिल से सुना और उसके अनुसार प्रभाव डाला और इस परोपकारी आंदोलन में उन्होंने भगवान के अलावा कुछ भी नहीं माना। पैग़म्बरे इस्लाम के घर के दरवाज़े से कोई भी ग़रीब निराश होकर नहीं लौटता था, यहाँ तक कि आप स्वयं ग़रीबों के पास जाते थे और उन्हें अपने घर बुलाते थे और उन्हें खाना और कपड़े देते थे। इमाम हसन मोजतबी (अ.स.) ने अपनी सारी शक्ति अच्छे और ईश्वर को प्रसन्न करने वाले कामों में लगाई और बहुत सारी संपत्ति ईश्वर की राह में दे दी। इतिहासकारों और वैज्ञानिकों ने उनके गौरवशाली जीवन की जीवनी में अभूतपूर्व क्षमा और महान एवं अनूठे दान को दर्ज किया है। अपने जीवनकाल में उस पैगम्बर ने अपनी सारी संपत्ति दो बार ईश्वर की राह में खर्च की और तीन बार अपनी संपत्ति को दो हिस्सों में बांटकर उसका आधा हिस्सा ईश्वर की राह में गरीबों को दे दिया।