एक और आशूरा

एक और आशूरा

एक और आशूरा

Publish number :

पहला

Publication year :

2012

Number of volumes :

1

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एक और आशूरा

एक बार फिर मुहर्रम और आशूरा आने वाला है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत (बलिदान) से लेकर आज तक हज़ार से ज़्यादा बार आशूरा आ चुका है और हर बार मकतबे आशूरा की नई तालिमात बयान और आपके मानने वालों के सामने पेश की जाती हैं और इस तरह यह इंकेलाब ( क्राँति) आज तक ज़िन्दा है और इस की चमक से आँखें चकाचौन्ध हैं। तमाम क़ौमें इस दिन में शहीद होनी वाली शख़्सीयत के सामने अपने सरों को झुकाती हैं और इस मकतब के मानने वाले अपनी दुनिया व आख़िरत के लिये ज़ादे राह ( मार्ग व्यय) इकट्ठा करते हैं। यह बात ज़हन में रहनी चाहिये कि आशूरा ने बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं। हमारे पुर्वजों और सैयदुश शोहदा अलैहिस्सलाम के मानने वालों की ख़िदमात (सेवाओ ) व फ़िदाकारी का नतीजा है जो आशूरा का मकतब और उसके संस्कार अपने पवित्र मक़सद (लक्ष्य) और ज़ुल्म के आगे न झुकने के साथ हम तक पहुच सके हैं। वर्तमान पुस्तक आशूरा विद्रोह और उसके जीवित रहने और उसके रीति-रिवाजों और... के बारे में चर्चा करती है।