नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 20

नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 20 ''जिन चीज़ों को तुम्हारे मरने वालों ने देखा है, अगर तुम भी उसे देख लेते तो घबरा जाते और सरासीमा व मुज़तरिब हो जाते और (हक़ की बात) सुनते और उस पर अमल करते। लेकिन जो उन्हों ने देखा है वह अभी तुम से पोशीदा है और क़रीब है कि वह पर्दा उठा दिया जाए। अगर तुम चश्मे बीना (देखने वाली आंख) और गोशे शुन्वा (सुन्ने वाले कान) रखते हो, तो तुम्हें सुनाया और दिखाया जा चुका है और हिदायत की तलब है तो तुम्हे हिदायत की जा चुकी है। मैं सच कहता हूं कि इब्रतें तुम्हें बलन्द आवाज़ से पुकार चुकी हैं। और धम्काने वाली चीज़ों से तुम्हें धम्काया जा चुका है। आस्मानी रसूलों (फ़रिश्तों) के बाद बशर (इंसान) ही होते हैं जो तुम तक अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाते हैं। इसी तरह मेरी ज़बान से जो हिदायत हो रही है, दर हक़ीक़त अल्लाह का पैग़ाम है जो तुम तक पहुंच रहा है।'' rizvia.net