नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 21
नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 21
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नहजुल बलाग़ा : ख़ुत्बा - 21 ''तुम्हारी मन्ज़िले मक़्सूद (गंतव्य स्थान) तुम्हारे सामने है। मौत की साअत (मृत्यु का क्षण) तुम्हारे अक़ब में (पीछे) है, जो तुम्हे आगे की तरफ़ (ओर) ले चल रही है। हल्के फुल्के रहो ताकि आगे बढ़ने वालों को पा सको। तुम्हारे अगलों को पिछलों का इन्तिज़ार कराया जा रहा है (कि यह भी उन तक पहुंच जायें)। सैयिद रज़ी फ़रमाते हैं कि कलामे खुदा व रसूल (स.) के बाद जिस कलाम से भी इन कलिमात (वाक्यों) का मुवाज़ना (तुलना) किया जाय तो हुस्त्रो खूबी (सौन्दर्य एंव श्रेष्ठता) में इन का पल्ला भारी रहेगा और हर हैसियत से बढ़े चढ़े रहेंगे और आप का यह इर्शाद (कथन) है कि, '' तखफ्फ़क़ू तल्हक़ू '' इस से बढ़ कर तो कोई जुम्ला (वाक्य) सुनने ही में नही आया जिस के अल्फ़ाज़ (शब्द) कम हों और मअनी (अर्थ) बहुत हों। अल्लाहो अक्बर ! कितने इस कलिमे के मअनी बलन्द और इस हिक्मत (दर्शन) का चश्मा (स्त्रोत) साफ़ व शफ्फ़ाफ़ (स्वच्छ) है और हम ने अपनी किताब, '' खसाइस '', में इस फ़िक्रे की अज़मत (श्रेष्ठता) और उस की मअनी (अर्थ) की बलन्दी पर रौशनी डाली है। rizvia.net