इस्लामी समाज में कुरआन की भूमिका
इस्लामी समाज में कुरआन की भूमिका
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एक बार की बात है कि एक गांव में एक ग़रीब लकड़हारा रहता था, वह प्रतिदिन जंगल से लकड़ी काट कर लाता और उन्हें बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालता था। लकड़हारा बहुत गरीब लेकिन ईमानदार, दयालु और अच्छे चरित्र वाला आदमी था। वह हमेशा दूसरों के काम आता और बेज़बान जानवरों और पक्षियों आदि का भी ख़्याल रखता था। एक दिन जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने के बाद वह काफी थक गया और एक छाया दार पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिये लेट गया, लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर पड़ी उसके रोंगटे खड़े हो गए। उसने क्या देखा कि एक सांप पेड़ पर बने हुए घोंसले की ओर बढ़ रहा था, इस घोंसले में कौवे के बच्चे थे जो साँप के डर से चीं चीं कर रहे थे। बच्चों के मां बाप दोनों दाना चुगने कहीं दूर गए थे। दयालु लकड़हारा अपनी थकान भूल कर फ़ौरन उठ बैठा और कौवे के बच्चों को सांप से बचाने के लिये पेड़ पर चढ़ने लगा। सांप ने खतरा भांप लिया और घोंसले से दूर भागने लगा। उसी बीच कौवे भी लौट आए, लकड़हारे को पेड़ पर चढ़ा देखा तो वह समझे कि ज़रूर उसने बच्चों को मार दिया होगा। वह गुस्से में काओं काओं चिल्लाने लगे और लकड़हारे को चोंच मार मार कर अधमरा कर दिया। बेचारा लकड़हारा किसी तरह जान बचाकर नीचे उतरा और चैन की सांस ली। लेकिन जब कव्वे अपने घोंसले में गए तो बच्चे वहां दुबके हुए बैठे थे, बच्चों ने मां बाप को सारी बात बता दी और तभी उन्होंने देखा कि सांप भी पेड़ से उतर कर भाग रहा है। अब कौवे को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह बहुत शर्मिंदा हुए। कौवे लकड़हारे का शुक्रिया अदा करना चाहते थे, कव्वे ने घोंसले में रखा वास्तविक मोती का क़ीमती हार जो उन्हें कुछ ही दिन पहले गांव के तालाब के किनारे मिला था, उठा कर लकड़हारे के आगे डाल दिया और थोड़ी दूर हटकर बैठकर काओं काओं करने लगे। इस तरह कव्वे अपने प्यारे बच्चों की जान बचाने पर दयालु लकड़हारे को धन्यवाद कर रहे हैं, ग़रीब लकड़हारा भी कीमती हार पाकर बहुत खुश हुआ और उसने मन ही मन में अल्लाह का शुक्र अदा किया। जब लकड़हारा लकडियों का गठ्ठर सिर पर उठा कर अपने गांव की ओर चला तो कव्वे भी उसके ऊपर काओं काओं करते उड़ रहे थे, लेकिन अब चोंच मारने के लिये नहीं बल्कि दूर कर अलविदा करने के लिये। इस कहानी से हमें कुछ बातों का पता चलता है। 1. हमें इंसानों के साथ साथ जानवरों और चिड़ियों पर भी रहम करना चाहिये और बुरे समय में उनके काम आना चाहिये। 2. सही जानकारी हासिल किये बिना जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। 3. अपनी ग़ल्ती का एहसास हो जाने पर सामने वाले से माफ़ी मांगना चाहिए। 4. अगर किसी ने हमारे साथ भलाई की है तो उसका शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए। 5. और हमें यक़ीन रखना चाहिये कि अल्लाह हमारी हर नेकी का बदला देने वाला है।