ईरान की हरित क्रान्ति-1

कृषि, प्राचीन काल से ही मनुष्य के सबसे प्रमुख कार्य के रूप में मानव समाजों की गतिशीलता व प्रगति का आधार रही है। आज भी जो देश, कृषि उत्पादों की पैदावार में अग्रणी हैं और गेहूं, चावल और इसी प्रकार के अन्य आवश्यक उत्पादों के निर्यात की क्षमता रखते हैं, उनकी अर्थ व्यवस्था काफ़ी विकसित है। इस प्रकार के देश, अन्य देशों पर निर्भर नहीं होते। प्रिय श्रोताओ इस कार्यक्रम में हम ईरान की विशेष भौगोलिक स्थिति, उसकी विशेषताओं, कृषि उत्पादों की विविधता और पर्यावरण की विभिन्नता से आपको परिचित करवाएंगे। तो आइये इस कार्यक्रम की पहली कड़ी पर ध्यान दीजिए जिसमें ईरान की जलवायु और कृषि एवं खाद्य सामग्रियों की विशेषताओं का उल्लेख किया जाएगा।

ईरान की जलवायु सोलह लाख अड़तालीस हज़ार वर्ग किलोमीटर से अधिक है जिसमें एक करोड़ पैंतालीस लाख हेक्टेयर जंगल, आठ करोड़ पैंतालीस लाख हेक्टेयर चरागाह, तीन करोड़ पच्चीस लाख हेक्टेयर मरुस्थल तथा पच्चीस लाख हेक्टेयर जंगली भूमि पाई जाती है और इसी कारण इस देश में जलवायु की दृष्टि से बहुत अधिक विविधता है। यह विशेषता इस बात का कारण बनी है कि ईरान का कृषि विभाग, इस देश की अर्थ व्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त कर ले। ईरान विभिन्न जलवायुओं वाला देश है और संसार में पहचानी गई चौदह जलवायुओं में से 11 प्रकार की जलवायु ईरान में पाई जाती है। यह विशेषता इस बात का कारण बनी है कि ईरान में एक साथ कई कई मौसम रहते हैं जिसके चलते उसके विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों की पैदावार की बेजोड़ क्षमता उत्पन्न हो गई है।

ईरान में जलवायु की विविधता को उसके विभिन्न क्षेत्रों में भली भांति देखा जा सकता है। उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में ऊंचे-ऊंचे पर्वत इतने अधिक हैं कि वे भूमध्य सागर, फ़ार्स की खाड़ी और कैस्पियन सागर की आर्द्र हवाओं के प्रभाव को पूर्ण रूप से निष्क्रिय बना देते हैं। यही कारण है कि ईरान की भूमि में स्थित अनेक पर्वतांचल सूखे हैं किंतु ईरान की सीमा के बाहर दूसरी ओर के पर्वतांचलों की जलवायु आर्द्र है। कैस्पियन सागर के दक्षिणी तटों की जलवायु संतुलित है। इस क्षेत्र विशेष कर गीलान के पश्चिमी तटों पर वर्षा की दर अन्य क्षेत्रों से अधिक है। इन क्षेत्रों का तापामन पूरे वर्ष औसतन लगभग अट्ठारह डिग्री सेंटीग्रेड होता है। इन क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में घाटियों में तापमान अधिक होता है किंतु पहाड़ों की ऊंचाइयों पर तापमान संतुलित रहता है। सर्दियों में घाटियों का तापमान संतुलित होता है किंतु पर्वतों की ऊंचाइयों पर कड़ी ठंड पड़ती है। ईरान के सभी दक्षिणी क्षेत्रों में यद्यपि आर्द्रता पाई जाती है किंतु गर्मी अधिक होती है इस प्रकार से कि दक्षिण पश्चिमी ईरान के ख़ूज़िस्तान प्रांत में तापमान 54 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है।

ईरान के अन्य भागों में जलवायु की स्थिति पूर्णतः भिन्न है। उत्तर में अलबुर्ज़ और पश्चिम में ज़ागरुस पर्वत श्रंखला के अस्तित्व के कारण ईरान के भीतरी पठारी क्षेत्रों की जलवायु शुष्क एवं मरुस्थलीय है। उत्तरी व पश्चिमी पर्वतांचलों में निकट के क्षेत्रों की संतुलित जलवायु के चिन्हें दिखाई देते हैं और जैसे जैसे हम पश्चिम से पूरब और उत्तर से दक्षिण की ओर चलें, आर्द्र हवाओं का प्रभाव कम होने लगता है और तापमान बढ़ने लगता है किंतु केंद्रीय, पूर्वी व दक्षिण पूर्वी निचले व ढलवां क्षेत्रों में मरुस्थलीय जलवायु होती है। इस प्रकार की जलवायु की विशेषता, शीत ऋतु में भारी ठंड, ग्रीष्म ऋतु में जलाने वाली गर्मी और दिन व रात के तापमान में बहुत अधिक अंतर है। जलवायु की यह विविधता इस बात का कारण बनी है कि ईरान में कृषि उत्पादों में बहुत अधिक विभिन्नता पाई जाती है। गेहूं, गर्मी के फल, सब्ज़ियां, दालें, विभिन्न प्रकार के फल, कपास, तम्बाकू, खजूर, चावल, भुट्टा, चाए, गन्ना, चुक़ंदर और इसी प्रकार की अन्य वस्तुएं ईरान के कृषि उत्पादों में शामिल हैं।

ईरान की भूमि का लगभग नब्बे प्रतिशत प्राकृतिक भौगोलिक भाग पठारों में स्थित है और इस देश के क्षेत्रफल का आधे से अधिक भाग पर्वतों व ऊंचे क्षेत्रों, एक चौथाई भाग मरुस्थल और एक चौथाई से कम कृषि योग्य भूमि पर आधारित है। ईरान की अधिकांश नदियां कम पानी वाली हैं और कैस्पियन सागर, फ़ार्स की खाड़ी, ओमान सागर और देश के भीतर के जल क्षेत्र में बहती हैं। पर्वतीय इलाक़ों के ऊंचे नीचे व मैदानी क्षेत्रों में लगभग एक लाख अस्सी हज़ार वर्ग किलो मीटर के भाग पर जंगल छाए हुए हैं। इस वनक्षेत्र का लगभग 55 प्रतिशत भाग, देश के पश्चिम के बलूत के जंगलों से संबंधित है। कैस्पियन सागर के दक्षिणी तटों के उत्तरी जंगल, दक्षिण व पूरब के बिखरे हुए पिस्ते के जंगल, अरस के पर्वतीय जंगल और गर्म व मरुस्थलीय क्षेत्रों के जंगल, इन जंगली क्षेत्रों के अन्य भाग हैं। कुल मिला कर ईरान के पर्यावरण की यह स्थिति दर्शाती है कि विभिन्न प्रकार के मौसमों के चलते ईरान में कृषि पैदावारों में बड़ी विविधता पाई जाती है। इसी के साथ ईरान के फल एवं अनाज विश्व के उत्पादों से मुक़ाबले की क्षमता रखते हैं। उदाहरण स्वरूप पूरे विश्व में सबसे अच्छे और स्वादिष्ट अंगूर ईरान के बाग़ों में ही पैदा होते हैं। 19 प्रकार के फलों के उत्पाद में ईरान का नंबर विश्व में पहले से लेकर नवें स्थान के बीच है जबकि पिस्ता, केसर, अनार, खजूर, अख़रोट, बादाम, कीवी, चेरी और ख़ूबानी जैसी वस्तुओं की पैदावार में ईरान, विश्व में पहले से लेकर तीसरे स्थान तक का स्वामी है।

आर्थिक विकास की दृष्टि से, कृषि का क्षेत्र देश की प्रगति एवं विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण एवं मूल भूमिका का स्वामी है। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभ में कृषि उत्पादों की पैदावार ढाई करोड़ टन प्रतिवर्ष थी जबकि इस समय यह मात्रा लगभग ग्यारह करोड़ टन हो चुकी है। केसर के उत्पाद में पूरे विश्व में ईरान पहले स्थान का स्वामी है। इसी प्रकार ईरान छः लाख टन अनार की पैदावार के साथ पहले, दस लाख टन खजूर की पैदावार के साथ दूसरे, ख़ावियार मछली के अंडे की ग्यारह टन पैदावार के साथ पहले स्थान का स्वामी है। ख़ावियार को काला सोना भी कहा जाता है। इसी प्रकार ईरान हेज़लनट या पहाड़ी बादाम की पैदावार में चौथे, अंजीर, चेरी, आड़ू, टमाटर, शफ़तालू और नींबू की पैदावार में विश्व में पांचवे और छठे स्थान का स्वामी है। इसी प्रकार नारंगी, ग्रेप फ़्रूट, नींबू जैसे रसदार फलों तथा अंगूर, नाशपाती तथा स्ट्राबैरी की पैदावार में भी पूरे विश्व में ईरान का नंबर काफ़ी आगे है।

ईरान में विभिन्न प्रकार के मौसमों के कारण, कृषि के लिए बड़ी उपयुक्त भूमि पाई जाती है और नाना प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों और इसी प्रकार पानी के व्यापक स्रोतों तक पहुंच ने इस देश को यह संभावना प्रदान कर दी है कि वह अपनी वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकता से तीन गुना अधिक खाद्य सामग्री पैदा करे। इस संबंध में ईरान में वनस्पतियों और पशुओं के जेनेटिक स्रोतों की ओर संकेत किया जा सकता है जो अनेक मामलों में पूरे विश्व में अद्वितीय है।