एक दूसरे की अवगुणों को छिपाना
एक दूसरे की अवगुणों को छिपाना
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यह बात अत्यंत आवश्यक है कि पति-पत्नी, अच्छी समझ-बूझ के लिए संयुक्त जीवन से बाहर एक दूसरे की बातों और रहस्यों को बयान न करें क्योंकि जीवन साथी की बातें दूसरों से बयान करने के बड़े नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। राज़ या रहस्य का अर्थ होता है वह बात जो दिल में छिपी हुई हो या फिर केवल कुछ विशेष लोगों से बताई जाए। हमें राज़दारी ईश्वर से सीखनी चाहिए। वह सबसे अधिक अपने बंदों के कर्मों, व्यवहार, अवगुणों और पापों से सबसे अधिक अवगत है किंतु उसकी विनम्रता, बुराइयों को छिपाने की विशेषता और राज़दारी सबसे अधिक है। यही कारण है कि ईश्वर को सत्तारुल उयूब अर्थात बुराइयों को छिपाने वाला कहा जाता है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम तथा उनके पवित्र परिजनों के कथनों में कहा गया है कि मोमिन के सम्मान की रक्षा अत्यंत मूल्यवान है। इसी कारण हमें दूसरों के सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में हर मनुष्य के कुछ न कुछ रहस्य होते हैं जिनकी रक्षा का उसे प्रयास करना चाहिए। इनमें से कुछ राज़ उसके अपने जीवन से संबंधित होते हैं जबकि कुछ अन्य उसके परिवार या समाज से संबंधित होते हैं। आज सूचना प्रोद्योगिकी के विकसित उपकरणों के अस्तित्व में आ जाने तथा उनके व्यापक प्रयोग के दृष्टिगत, राज़ों की रक्षा करना अपरिहार्य है। यह बात एक नैतिक गुण तो है ही साथ ही मनुष्य के कल्याण व सौभाग्य में भी इसकी प्रभावी भूमिका है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि सफलता, कार्य की दृढ़ता पर निर्भर है और कार्य की दृढ़ता, विचार पर निर्भर है और विचार, राज़ों की रक्षा का नाम है। इसके मुक़ाबले में दूसरों के राज़ को फ़ाश करना, सफलता से दूरी बल्कि व्यक्ति के पतन का भी कारण बनता है जैसा कि पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने कहा है कि राज़ फ़ाश करना, पतन का कारण है। हर व्यक्ति, परिवार, संगठन और समाज की कुछ न कुछ गोपनीय सूचनाएं होती हैं जिनसे दूसरों को अवगत नहीं होना चाहिए क्योंकि उनके फ़ाश होने से बड़ी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मनोवैज्ञानिक, राज़दारी को स्वस्थ व्यक्ति के चिन्हों में से एक बताते हैं कि जो अपनी कथनी और करनी को नियंत्रित रखता है। धार्मिक शिक्षाओं में भी दूसरों के रहस्यों की रक्षा करने वाले लोगों को ईमान वालों की पंक्ति में रखा गया है। धार्मिक शिक्षाओं में दूसरों की इज़्ज़त व सम्मान की रक्षा पर बहुत अधिक बल दिया गया है। पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम कहते हैं कि एक ईमान वाले व्यक्ति का दूसरे मोमिन के प्रति दायित्व यह है कि वह उसके सत्तर बड़े पापों को छिपाए रखे। इसी प्रकार एक अन्य स्थान पर कहा गया है कि जो भी अपने मोमिन भाई के किसी बुरे कर्म को देखे और उसे फ़ाश न करे तो ईश्वर लोक-परलोक में उसके पापों को छिपाए रखेगा। अनुभवों से सिद्ध होता है कि राज़दारी अन्य लोगों की दृष्टि में हमें विश्वस्त बनाती है और परिवार व समाज में मानवीय संबंधों को सुदृढ़ करती है। लोग प्रायः ऐसे लोगों को विश्वास की नज़र से देखते हैं जो दूसरों के राज़ फ़ाश नहीं करते। निश्चित रूप से परिवार में पति-पत्नी का एक दूसरे का राज़दार होना, जीवन साथी और बच्चों पर गहरा प्रभाव डालता है। इस्लाम की धार्मिक शिक्षाओं में परिवार में जीवन साथी के सम्मान पर बल देते हुए कहा गया है कि पति-पत्नी की समस्याओं को घराने से बाहर दूसरों के समक्ष बयान नहीं किया जाना चाहिए। पारीवरिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि जिन दंपतियों का आत्मिक व भावनात्मक रिश्ता बड़ा सीमित होता है, वे प्रायः अपनी ज़रूरतों के बारे में एक दूसरे से कम ही बात करते हैं और उनके बीच शाब्दिक संपर्क बड़ी मुश्किल से स्थापित होता है जिसके परिणाम स्वरूप पारीवारिक समस्याएं, घराने की सीमा पार कर जाती हैं। यद्यपि यह कार्य तर्कसंगत नहीं है किंतु कभी कभी पति या पत्नी की दृष्टि में इसके अलावा कोई और मार्ग नहीं होता कि अपनी बातें दूसरों को बताएं ताकि शायद उनका मानसिक दबाव कुछ कम हो सके किंतु इसके अत्यंत नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं जिनमें से कुछ का हम कार्यक्रम के अगले भाग में उल्लेख करेंगे। जीवन साथी के अवगुणों को बयान करना इस बात का कारण बनता है कि ईश्वर की दया दृष्टि पति-पत्नी से दूर हो जाए और परिणाम स्वरूप उनका सम्मान व वैभव समाप्त हो जाए। इस स्थिति में लोग उन्हें बड़ी तुच्छ नज़रों से देखते हैं। जीवन की समस्याएं परिवार से बाहर बयान करने और जीवन साथी के अवगुणों का उल्लेख करने का एक परिणाम यह भी होता है कि कुछ लोग बड़ी सरलता से उनके निजी मामलों में हस्तक्षेप करने लगते हैं। पति-पत्नी के बीच पैदा होने वाले बहुत से मतभेद, बड़ी तेज़ी से ख़त्म भी हो जाते हैं किंतु जीवन साथी की बुराई, दूसरों के मन में छवि उत्पन्न करती है वह सरलता से समाप्त नहीं होती। सभी चाहते हैं कि अपने जीवन साथी पर गर्व करें और दूसरों को उसका सम्मान करते हुए देखें किंतु पारीवारिक बुराइयों को दूसरों के समक्ष बयान करने से जीवन साथी का सम्मान कम हो जाता है और लोग उसे अर्थपूर्ण नज़रों से देखने लगते हैं। इसके अतिरिक्त जब पति या पत्नी में से कोई एक दूसरे की बुराई करे और दूसरे को बाद में पता चले तो परिवार में नई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं और उसे लगता है कि परिवार के लोगों के बीच उसकी बेइज़्ज़ती हो गई है और संभावित रूप से वह उनसे दूर हो सकता है। एक अन्य बात यह है कि पति-पत्नी का सम्मान एक प्रकार से एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसका तात्पर्य यह है कि जब पति या पत्नी में से किसी एक की सराहना की जाती है तो दूसरे को भी गर्व का आभास होता है। तो जब इन दोनों में से कोई एक अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए दूसरे की बुराई करता है तो वस्तुतः वह स्वयं को ही अपमानित करता है और अपने सम्मान को अपने ही पैरों तले रौंद देता है। पति-पत्नी, जो एक दूसरे के साथ रहते हैं, किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिक एक दूसरे के अवगुणों से अवगत हो जाते हैं। इस आधार पर एक साथी के रूप में भी उनके लिए यह आवश्यक है कि वे राज़दारी से काम लें और अपने साथी की बुराइयों को दूसरों तक न पहुंचाएं। कुछ लोगों की मानसिकता बड़ी छोटी होती है और जैसे ही वे अपने जीवन साथी में कोई बुराई देखते हैं तो उसे तुरंत दूसरों को बता देते हैं। कुछ अन्य में सहनशीलता होती है किंतु जैसे ही उन्हें पारीवारिक समस्याओं का सामना होता है वे स्वयं को सही दर्शाने और दूसरों की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए अपने जीवन साथी की बुराइयों का बखान आरंभ कर देते हैं और उसके राज़ों को फ़ाश कर देते हैं। कभी कभी पति या पत्नी की ओर से सार्थक आलोचना को स्वीकार न किया जाना भी, पारीवारिक बातों के बाहर जाने का कारण बनता है। जीवन साथी की ओर से आलोचना, यदि सही ढंग से हो और उसका उद्देश्य दूसरे पक्ष के व्यवहार को सुधारना हो तो पारीवारिक संबंधों की कमज़ोरी दूर होती है किंतु अगर पति-पत्नी में से कोई एक, सार्थक आलोचना सुनने के लिए तैयार न हो तो फिर यह आलोचना घर से बाहर भी सुनाई देने लगती है और बाहरी लोग भी इससे अवगत हो जाते हैं। ईरान के प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डाक्टर मुहम्मद रज़ा शरफ़ी परिवार के भीतर राज़दारी के महत्व के बारे में कहते हैं: जिन लोगों का व्यक्तित्व कमज़ोर होता है उनकी आंतरिक तुच्छता कभी कभी उन्हें अपनी कमियों की भरपाई के लिए दूसरों के व्यक्तित्व पर कीचड़ उछालने पर उकसाती है। इसी कारण वे दूसरों के रहस्यों को फ़ाश करके अपने दुखी मन को संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं। खेद के साथ कहना पड़ता है कि इस प्रकार की बातें कभी कभी परिवारों में भी दिखाई पड़ती हैं। कुछ महिलाएं या पुरुष अपने को अच्छा दिखाने और जीवन साथी की छवि को बिगाड़ने के लिए दूसरों के समक्ष अपने पारीवारिक जीवन के रहस्य खोल देते हैं। डाक्टर शरफ़ी परिवार के राज़ों को फ़ाश करने के एक अन्य तरीक़े के बारे में कहते हैं: एक अन्य बुरी बात यह है कि कभी कभी पति-पत्नी में से कोई एक अपने बच्चों को जीवन साथी पर नज़र रखने के लिए कहता है। ऐसे लोग अपने इस प्रकार के व्यवहार से बच्चों के मन में अविश्वास का बीज बो देते हैं। वे न केवल यह कि परिवार विश्वास व संतोष के वातावरण को सामाप्त कर देते हैं बल्कि ऐसे लड़के-लड़कियों का प्रशिक्षण करते हैं जो भविष्य में अपने पारीवारिक जीवन के रहस्य दूसरों के समक्ष खोल देते हैं। अलबत्ता इस बात का उल्लेख भी आवश्यक है कि यद्यपि जीवन की समस्याएं और जीवन साथी के अवगुण दूसरों के समक्ष बयान करना ग़लत बल्कि बहुत बड़ा पाप है किंतु कभी कभी पारीवारिक समस्याओं के समाधान के लिए इनमें से कुछ बातें किसी विश्वस्त एवं सक्षम व्यक्ति को बताना आवश्यक होता है। ऐसी स्थिति में आवश्यकता भर बातें उस विश्वस्त व्यक्ति को बताई जा सकती हैं। स्पष्ट है कि इन परिस्थितियों में पारीवारिक समस्याएं दूसरों को बताने से उनके समाधान की आशा रखी जा सकती है। यही कारण है कि इस्लामी शिक्षाएं और साथ ही पारीवारिक एवं प्रशिक्षण संबंधी मामलों के विशेषज्ञ, अपने घर-परिवार से जुड़ी समस्याओं को बयान करने के लिए किसी अमानतदार एवं दक्ष परामर्शदाता के पास जाने की सिफ़ारिश करते हैं। hindi.irib.ir