नवाफ़िल –ए- यौमिया

1. ज़ोहर की नमाज़ इसकी नाफ़ेला आठ रकअत है। 2. अस्र की नमाज़ इसकी नाफ़ेला आठ रकअत है। 3. मग़रिब की नमाज़ इसकी नाफ़ेला चार रकअत है। 4. ऐशा की नमाज़ इसकी नाफ़ेला दो रकअत है जिसे ऐशा की नमाज़ के बाद बैठ कर पढ़ा जाता है। 5. सुबह की नमाज़ की नाफ़ेला दो रकअत है जो नमाज़े सुबह से पहले पढ़ी जाती है। 6. रात की नाफ़ेला (नमाज़े शब) ग्यारह रकअत है और उसका समय आधी रात से नमाज़े सुबह तक है एवंम रात का अंतिम भाग बेहतर है। मसअला 388 चूँकि ऐशा की नाफ़ेला दो रकअत एक रकअत गिनी जाती है इस कारण रोज़ाना की नाफ़ेला कुल मिला कर चौंतीस रकअत है जो वाजिब नमाज़ों के दोगुना है। मसअला 389 ज़ोहर और अस्र की नाफ़ेला को नमाज़े ज़ोहर और नमाज़े अस्र के बाद पढ़ सकते हैं। लेकिन फ़ज़ीलत (श्रेष्ठता) के समय पढ़े तो इस हालत में एहतियात वाजिब है कि अदा और क़ज़ा की नियत न करे बल्कि क़ुरबतन एलल्लाह की नियत से पढ़े। मसअला 390 नमाज़े शब (रात की नाफ़ेला) ग्यारह रकअत है आठ रकअत दो दो रकअत करके पढ़ी जाती है जिनको नमाज़े शब कहते हैं। दो रकअत का नाम नमाज़े शिफ़ा है और एक रकअत नमाज़े वित्र के नाम से पढ़ी जाती है। वित्र में हम्द के बाद सूरा ए तौहीद और मोअव्वज़तैन (क़ुल आऊज़ो बेरब्बिन नास व बेरब्बिल फ़लक़) को पढ़ना चाहिए। इसके क़ुनूत में इस्तेग़फ़ार, मोमिनीन के लिए दुआ और अल्लाह से किताबों में उल्लेखित क्रमानुसार मुरादें मांगना मुस्तहेब है। मसअला 391 नमाज़े शब में सूरा, इस्तेग़फ़ार एवंम दुआ अनिवार्य एवंम शर्त का हिस्सा नहीं है बल्कि हर रकअत में नियत, तकबीरतुल एहराम (अल्लाहो अकबर) हम्द का सूरा और उसके बाद अगर चाहे तो कोई भी सूरा पढ़ ले और उसके बाद रुकूअ और सजदे में जा कर उनका ज़िक्र पढ़ना और तशह्हुद और सलाम पढ़ लेना काफ़ी है। मसअला 392 नमाज़े शब को अंधेरे या छिप कर पढ़ना शर्त नहीं है। हाँ इसमें दिखावा जायज़ नहीं है। मसअला 393 नाफ़ेला को दो दो कर के पढ़ना वाजिब है मगर नमाज़े वित्र जो केवल एक रकअत है इस प्रकार नमाज़े शब को चार चार रकअत कर के पढ़ना फिर दो रकअत पढ़ना और फिर नमाज़ वित्र पढ़ना सही नहीं है। मसअला 394 नाफ़ेला को बैठ कर पढ़ना जायज़ है परन्तु बेहतर यह है कि खड़े हो कर पढ़े। मसअला 395 सफ़र में ज़ोहर, अस्र और ऐशा की नाफ़ेला ख़त्म हो जाती है अतः उनका पढ़ना जायज़ नहीं है। मसअला 396 रोज़ाना की नाफ़ेला में से हर एक का समय सुनिश्चित है। http://www.wilayat.in/