मैं सबसे ख़ूबसूरत हूँ!

ख़ूबसूरती अल्लाह की दी हुई ख़ूबसूरत नेमतों में से एक नेमत है। वैसे वास्तव में अगर देखा जाए तो पूरा संसार ही अपनी जगह पर ख़ूबसूरत है और जिस चीज़ पर भी आप नज़र डालें वह अपनी कुछ ख़ास विशेषताओं के आधार पर अपनी जगह एक ख़ूबसूरती रखती है। क्योंकि अल्लाह जमील (सुंदर) है और ख़ुद जमाल (सुंदरता) को पसंद करता है जब ऐसा है तो तय है कि जो कुछ भी बनाएगा वह हसीन, जमील और ख़ूबसूरत ही होगा। शायद आपको यह जान कर आश्चर्य हो कि कुछ लोग ऐसे हैं जो दुनिया में अपने आपको दुनिया का सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत इंसान समझते हैं और अपने इस दावे के लिए एक ख़ास दलील रखते हैं। बहरहाल यह कोई इतना बड़ा और अहेम मुद्दा नहीं है कि हम यह जानने की कोशिश करें कि वह लोग कौन हैं जो अपने को सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत समझते हैं और उनकी दलीलें क्या हैं? इस बारे में जानना और इस बारे में लिखना भी कोई इतना ज़रूरी नहीं है लेकिन जब मैंने इस सवाल के जवाब में कि क्या तुम सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत हो? और अगर हो तो उसकी क्या दलील है? एक दस साल की लड़की का जवाब पढ़ा तो मैं हैरत में पड़ गया और उसकी जिस्मानी और दिखाई देने वाली ख़ूबसूरती से कहीं ज़्यादा उसके विचारों की सुंदरता पर आश्चर्य हुआ। उसका जवाब क्या था यह मैं आप लोगों को बाद में बताऊँगा। उससे पहले यह बता दूँ कि हॉलैंड के “मिशेल शोल्स्म” नामक एक फ़ोटो ग्राफ़र ने दुनिया के पाँच महाद्वीप का सफ़र किया ताकि दुनिया के अलग अलग मुल्कों में विभिन्न वर्गों वाले लोगों से यह दो सवाल करेः 1. ख़ूबसूरती किसे कहते हैं? 2. क्या तुम सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत हो? उसने दस मुल्कों से फ़ोटोज़ को इकट्ठा किया और उन्हें दुनिया का सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत शख़्स नामक एक किताब में पब्लिश किया है। मिशेल ने कई मुल्कों के रहने वालों से यह दो सवाल किये और सबने अपने जवाब अपनी दलील के साथ उसके सामने रखे। किसी ने कहा मैं अपनी बड़ी बड़ी आँखों की वजह से सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत हूँ। कोई बोला मेरे बाल बहुत अच्छे हैं इस लिए मैं ख़ूबसूरत हूँ। किसी ने कहा जब मैं हंसती हूँ तो मेरे गालों पर डिम्पल पड़ते हैं, इस लिए लोग मुझे ख़ूबसूरत कहते हैं। एक नाबीना हिंदुस्तानी लड़की ने कहा कि मैं सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत हूँ क्योंकि जो भी मुझे देखता है वह मुझ से कहता है कि तुम बड़ी सुंदर हो। किसी ने अपने रंग रूप को दलील बनाया तो किसी ने अपने चाल चलन को। किसी का कहना था कि क्योंकि मेरी आँखें सुनहरी हैं इस लिए मैं ख़ूबसूरत हूँ। किसी ने अपनी ख़ूबसूरती को लेकर अपने माँ बाप के गीत गाए। और किसी ने अपनी ख़ूबसूरती का आधार अपने लिए आने वाले रिश्तों की संख्या को बताया। लेकिन जब यह 61 साला फ़ोटो ग्राफ़र ईरान पहुँचा और दस साला मेहदिया आज़री नामक बच्ची से सवाल किया तो उसने एक ऐसा जवाब दिया जो शायद मेरी निगाह में मिशेल के ख़ूबसूरती नाम के 5 साला प्राजेक्ट की जान था। मेहदिया ने कहाः मैं सबसे ख़ूबसूरत लड़की हूँ क्योंकि मैं नमाज़ पढ़ती हूँ!!! इस छोटी सी बच्ची के जवाब ने मुझे हिला दिया, आप पर इसका क्या असर हुआ मुझे नहीं मालूम। उसके जवाब से जो बात मुझे समझ में आई वह यह कि ख़ूबसूरती सिर्फ़ चेहरे या बदन की नहीं होती बल्कि एक ख़ूबसूरती और भी होती है जिसे रूह व आत्मा की ख़ूबसूरती कहा जाता है। वास्तव में हर इंसान एक आर्टिस्ट की तरह होता है जो अपने कैरेक्टर्स के ब्रश से अपनी पर्सानिल्टी को डिज़ाइन करता है। अगर एक मुस्लमान है और अच्छा मुसलमान है तो वह एक अच्छे आर्टिस्ट की तरह होता है जो डिज़ाइन और पेंटिंग अच्छी तरह जानता है। और एक अच्छा मुसलमान जो सबसे अच्छा ब्रश अपनी पर्सानिल्टी को डिज़ाइन करने के लिए हाथ में ले सकता है वह नमाज़ है। रसूले अकरम हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फ़रमाते हैं नमाज़ मोमिन का नूर है। नूर, रौशनी, लाइट जहाँ भी हो जिसके साथ भी हो वह उसे सुंदरता और ख़ूबसूरती देती है। तारीकी और अंधेरे में कोई ख़ूबसूरती नहीं होती अगर रात बिल्कुल तारीक रहे और उसमें चाँद सितारे अपनी रौशनी का रंग न भरें तो न सिर्फ़ यह कि ख़ूबसूरत नहीं होती बल्कि कभी कभी डर और भय भी इंसान में पैदा कर देती है। दिन इसलिए ख़ूबसूरत होता है कि उसमें सूरज की रौशनी होती है। लाल्टेन उस वक़्त अपनी ओर आकर्षित करती है जब उसमें चिराग़ जल रहा हो। रात उस वक़्त हसीन है जब उसमें सितारे टिमटिमा रहे हों। और मोमिन उस वक़्त जगमगाता है और उसमें ख़ूबसूरती पैदा होती है जब उसमें नमाज़ का चिराग़ रौशन हो। आख़िर में एक बात आपको यह बता दूँ कि उस बेचारे मिशेल ने अपनी उम्र के 5 साल ख़ूबसूरती नाम के जिस प्रोजेक्ट पर गंवाए हैं उसको एक नाकाम प्रोजेक्ट समझा गया। लेकिन! अगर मुझसे पूछें तो मेरी निगाह में उसका यह प्रोजेक्ट कामयाब था। आप कैसा सोचते हैं?!!! www.wilayat.in