सजना सवंरना दीन की निगाह में

आजकल बहुत कम ऐसे लोग मिलेंगें जो घर से निकलते टाइम एक निगाह आइने पर न करते हों, कपड़ों का सेट होना, ज़ाहिरी हुलिया का आम लोगों की बीच जाते समय ठीक ठाक करना एक आदत और आम चलन बन गया है
और इस मसले मे बच्चे- बूढ़े,मर्द-औरत,अमीर-ग़रीब के बीच कोइ अंतर नही पाया जाता सबके सब दूसरों के दीदार व मुलाक़ात के समय अपने रख रखाव और मेकअप का ख्याल रखते हैं। और यह तय है कि यह आदत बड़ी अच्छी और पसंदीदा है और हमारे मासूम इमामों ने भी इसकी बड़ी ताकीद की है इस बारे मे इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया हैः
ان اللہ يحب الجمال والتجميل ويكرہ البۆس والتباۆس
अल्लाह तआला ख़ूबसूरती और सजने सवंरने को पसंद करता है और मुरझाए रहने और उजड़ेपन से रहने को नापसंद करता है।
इसी तरह हज़रत रसूले खुदा (स.अ.) फ़रमाते हैः
(ان اللہ تعاليٰ يحب من عبدہ اذا خرج الي اخوانہ ان يتھياء لھم ويتجمّل) "-
अल्लाह तआला को यह पसंद है कि जब उसका बन्दा अपने दीनी भाइयों के पास जाए तो खुद को तय्यार करे और अपना मेकअप करे।
शायद कुछ लोग यह सोचते हों कि जब अजनबी लोगों के सामने जाएं तो अपने आप को तय्यार करें, अपने दोस्तों और जान पहचान के लोगों की मुलाक़ात के समय अपनापन और दोस्ती काफ़ी है और बन ठन के मिलने की जरूरत बाक़ी नहीं रहती है। और ऐसे टाइम अपना मेकअप ज़रूरी नही है जबकि अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं
(ليتزين احدكم لاخيہ المسلم اذا اتاہ كما يتزين للغريب الذي يحب ان يراہ في احسن الھيۃ) "
जिस तरह तुम पसंद करते हो कि अजनबी लोग तुम्हें बेहतरीन शक्ल व सूरत मे देखें और उनके लिये अपने आप को तय्यार करते हो इसी तरह जब तुम अपने मुसलमान भाई के पास जाओ तो खुद को तय्यार करके जाओ।
इस मस्ले पर गहरी निगाह और सोचविचार करने के लिये हम कुछ बातों को यहाँ बयान कर रहे हैं जिनका दख़्ल डाएरेक्ट इंसान के ज़ाहिरी मेकअप में हैं।
1-. आम सफाई
सफ़ाई, इसांन की निजी और समाजी सलामती मे बेहद प्रभावी होने के साथ साथ देखने वालों की दिलचस्पी और खुशी का कारण है मासूमीन अलैहिमुस्सलाम के कथनों मे ईमान का हिस्सा और अंश गिने जाने वाली विशेषताओं की संख्या ज़्यादा नही है।
(النظافۃ من الايمان)
सफ़ाई ईमान का हिस्सा है, दूसरी जगह इमाम अली रेज़ा (अ.) फ़रमाते हैं
साफ़ सुथरा रहना नबियों के अख़लाक मे शामिल है।
من اخلاق الانبياء التنظيف
रसूले इस्लाम स.अ. की एक हदीस मे एक गंदे आदमी के बारे मे इस तरह आया है।
ان اللہ تعاليٰ يبغض الوسخ والشعث) "
अल्लाह तआला गंदे और मैल व धूल में लिपटे आदमी से नफ़रत करता है।
कुछ रिवायतों मे ख़ास स्थानों पर साफ़ व पाकीज़ा रहने की तरफ़ इशारा किया गया है हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.ह.) अपनी हदीस के एक हिस्से मे फ़रमाते हैं।
(فان اللہ - عز وجل - اذا انعم علي عبدہ نعمۃ احب ان يري عليہ اثرھا، قيل : و كيف ذالك؟ قال: ينظف ثوبہ، و يطيب ريحہ و يجصص دارہ، ويكنس افنيتہ، حتي ان السراج قبل مغيب الشمس ينفي الفقر ويزيد في الرزق) "
जब अल्लाह तआला किसी को नेमत दे तो वह पसंद करता है की उस नेमत का असर उसके अंदर दिखाई दे, पूछा गया वह किस तरह, फ़रमाया अपना लिबास साफ़ रखे, ख़ुश्बू इस्तेमाल करे, अपने घर को प्लास्टर करे, अपने घर के आंगन व दालान मे झाड़ू लगाए यहां तक कि सूरज डूबने से पहले चेराग़ जलाने से ग़रीबी और भुखमरी दूर होती है और रोज़ी रोटी मे बढ़ोतरी हो जाती है।
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