अमर ज्योति-35
अमर ज्योति-35
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क़ुरआने मजीद एक अमर चमत्कार है जो मनुष्य को मोक्ष व कल्याण का मार्ग दिखाता है। क़ुरआने मजीद की सुंदर एवं ठोस आयतें संपूर्ण मानव जाति को अपनी ओर बुलाती हैं, विरोधियों को चुनौती देती हैं तथा अत्यंत ठोस तर्क पर आधारित हैं। यही कारण है कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के निधान के बाद भी, जिन्होंने इस ईश्वरीय किताब को संसार के समक्ष प्रस्तुत किया, क़ुरआने मजीद उनके जीवन की ही भांति लोगों को निरंतर निमंत्रण दे रहा है और सत्य के खोजियों को अपनी ओर आकृष्ट कर रहा है। इस कार्यक्रम में हमने इस बात का भी प्रयास किया कि क़ुरआन की महानता और उसके चमत्कार होने को स्वयं उसकी आयतों से भी सिद्ध करें। जैसा कि किसी प्रभावी दवा के मूल्य को पहचानने का एक मार्ग यह है कि स्वयं उस दवा की समीक्षा की जाए और केवल डाक्टरों की बातों पर भरोसा न किया जाए। उदाहरण स्वरूप सूरए नबा की छठी और सातवीं आयतों पर ध्यान दीजिए जिनमें कहा गया है कि क्या हमने धरती को (आराम के लिए) बिछौना और पर्वतों को कीलों समान नहीं बनाया है? अतीत में अधिकाशं लोगों के लिए इस बात को समझना बहुत कठिन था कि क़ुरआन में पर्वतों को कील समान क्यों बताया गया है किंतु आज जैसे जैसे ज्ञान विज्ञान की परिधि विस्तृत होती जा रही है, संसार के रहस्य अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं। मनुष्य के ज्ञान में जितनी वृद्धि होती जा रही है उतना ही क़ुरआने मजीद से नई नई बातें व रहस्य खुलते चले जा रहे हैं। आज भूशास्त्रियों का मानना है कि पर्वत जिस प्रकार से धरती के भीतरी भाग में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं उसके दृष्टिगत वे धरती के लिए एक ठोस एवं इस्पाती कवच या ढाल समझे जाते हैं। दूसरे शब्दों में चूंकि धरती का बाहरी भाग कम गहरा है अतः पर्वत व धरती के भीतर उनकी जड़े, कील की भांति हैं जो धरती की रक्षा करती हैं। क़ुरआने मजीद के संबंध में अध्ययन करने वाले लोग इस विषय पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं। पिछले कार्यक्रम में पूर्वी मामलों के पश्चिमी विशेषज्ञों एवं क़ुरआने मजीद के संबंध में उनके कुछ दृष्टिकोणों के बारे में हमने चर्चा की थी। उनके विचारों एवं दृष्टिकोणों में क़ुरआने मजीद की सत्यता के बारे में स्वीकारोक्तियां भी देखने में आती हैं। इटली की विद्वान श्रीमती माइल एंजेलो ने क़ुरआने मजीद के अध्ययन एवं समीक्षा से पहले उन किताबों का अध्ययन किया जो अन्य लोगों ने क़ुरआन के बारे में लिखी हैं। वे लिखती हैं कि यद्यपि इस्लाम जैसे अमर धर्म के बारे में उनकी किताबों में शत्रुता और द्वेष को देखा जा सकता है किंतु इसी के साथ हम उनकी बातों से ही इस्लाम की प्रकाशमयी वास्तविकताओं को देख सकते हैं और क़ुरआन के प्रभाव की सीमा को समझ सकते हैं। इस्लाम और क़ुरआन की जीवनदायी और प्रकाशमयी शिक्षाओं से परिचय ने मेरे भीतर एक नई एवं गहरी सोच उत्पन्न कर दी तथा सृष्टि व जीवन के बारे में मेरी विचारधारा को पूर्ण रूप से परिवर्तित कर दिया। मैंने देखा कि ईसाइयत की शिक्षाओं के विपरीत इस्लाम की शिक्षाओं में मनुष्य को एक प्रतिष्ठित एवं सम्मानीय अस्तित्व माना गया है। इस किताब में जीवन बिताने और इस संसार तथा इसके आनंदों से लाभान्वित होने की शैली बड़े रोचक एवं बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से बयान किया गया है। फ़्रान्स के इतिहासकार एवं विचारक अर्नेस्ट रेनन ने ज्ञान व इतिहास के संबंध में अपनी अत्यधिक गतिविधियों के साथ ही सामी भाषाओं के बारे में कई पुस्तकें लिखी हैं। वे कहते हैं कि मेरे व्यक्तिगत पुस्तकालय में राजनीति, समाजशास्त्र, साहित्य इत्यादि के बारे में हज़ारों पुस्तकें हैं जिनका अध्ययन मैंने एक बार से अधिक नहीं किया है जबकि कुछ किताबें तो ऐसी भी हैं जो केवल पुस्तकालय की शोभा बढ़ाने के लिए हैं किंतु एक किताब ऐसी है जो मेरी सदा की साथी है और जब भी मैं थक जाता हूं और यह चाहता हूं कि मेरे समक्ष मूल्यवान शिक्षाओं एवं परिपूर्णता के द्वार खुल जाएं तो मैं उस किताब का अध्ययन करता हूं और उसके अध्ययन से मैं कभी भी ऊबता नहीं, वह किताब, क़ुरआने मजीद है जो आसमानी पुस्तक है। फ़्रान्स के विद्वान एवं पूर्वी मामलों के विशेषज्ञ डाक्टर ग्रेनिए, जिन्होंने इस्लामी ज्ञानों व क़ुरआन के संबंध में अत्यधिक शोध व अध्ययन किया है, कहते हैं कि मैंने क़ुरआन की उन आयतों पर काम किया जिनमें चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं भौतिकी की ओर संकेत किया गया है। मैंने पाया कि ये आयतें हर दृष्टि से संसार के वर्तमान विज्ञान से ताल-मेल रखती हैं। जो भी किसी कला या ज्ञान में दक्ष हो वह क़ुरआन की आयतों को उस कला या ज्ञान से उसी प्रकार परखे जैसा कि मैंने किया है तो निश्चित रूप से वह मुसलमान हो जाएगा, अलबत्ता शर्त यह है कि वह सही बुद्धि का स्वामी हो और द्वेष से काम न ले। मिस्र के महान विद्वान एवं साहित्यकार सैयद क़ुत्ब अपनी किताब, क़ुरआन में कलात्मक चित्रण में क़ुरआने मजीद के कलात्मक सौंदर्य का वर्णन करते हैं और इस महान ईश्वरीय ग्रंथ की साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालते हैं। उनका मानना है कि भाषा के प्रयोग की क़ुरआन की एक विशेष शैली है और वह सदैव इस भाषा से लोगों के मन मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है और उसे अपने संदेश की ओर आकर्षित करता है। वे कहते हैं कि जब भी कोई क़ुरआन को पढ़े या उसकी आयतों की तिलावत सुने तो वह पूर्ण रूप से क़ुरआन की चित्रण की शैली से प्रभावित हो जाता है और एक उच्च वास्तविकता की ओर खिंचा चला जाता है। यद्यपि, शब्द केवल माध्यम होते हैं किंतु क़ुरआने मजीद जो दृश्य उत्पन्न करता है और जिन घटनाओं का चित्रण करता है वे जीवन के वास्तविक अर्थ को दर्शाती हैं। सैयद क़ुत्ब, ईश्वरीय कथन में पाए जाने वाले संगीत को क़ुरआन की अमर कला बताते हैं जिसके माध्य से वह मनुष्यों को बहुत अधिक प्रभावित करता है। उनकी दृष्टि में क़ुरआने मजीद की गुणवत्ता और साथ ही कला एवं भावनाओं के समन्वय ने इस्लाम के आरंभिक काल के अरबों को बहुत अधिक प्रभावित किया। क़ुरआन की यह गुणवत्ता इतनी गहरी है कि वह सदैव सभी पीढ़ियों के लोगों को अपने संबोधन का पात्र बना कर उन्हें अपने कल्याणकारी संदेश की ओर आकर्षित कर सकती है। इस्लाम की वैभवशाली सभ्यता के अध्ययन से, मानव समाज के मार्गदर्शन व नेतृत्व में क़ुरआने मजीद का आश्चर्यजनक प्रभाव स्पष्ट हो जाता है। इतिहासकारों ने इस ठोस एवं ऐतिहासिक वास्तविकता को स्वीकार किया है कि इस्लाम से पूर्व संसार ज्ञान व नैतिकता के क्षेत्र में पूर्ण रूप से पतन में ग्रस्त था। पूरे संसार विशेष रूप से अरब जगत में शक्ति, हिंसा और जंगल के क़ानून का राज था, लूट-मार और डकैती का चलन था और लोग अंधविश्वासपूर्ण आस्थाओं और पाश्विक शैलियों का अनुसरण करते थे। जब इस्लाम के प्रकाश का उदय हुआ और ईश्वर की जीवनदायक किताब का आगमन हुआ तो लोग, अज्ञानता के काल के हीन जीवन से प्रतिष्ठा, मानवता, ज्ञान व नैतिकता की ओर उन्मुख हुए। आज विश्व के जागरूक एवं न्यायप्रेमी विद्वान इस बात को स्वीकार करते हैं कि संसार, इस्लाम व क़ुरआन का ऋणी है। स्वीडन के इस्लाम विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर इयान हियारपे कहते हैं कि विश्वविद्यालय में हमारे अध्ययन व शोध का आधार, धर्म का विरोध है अतः जब हम क़ुरआन के बारे में शोध व अध्ययन करते हैं तो उसे भी अन्य दस्तावेज़ों की भांति देखते हैं किंतु मेरे विचार में मनुष्य पर क़ुरआन व उसके साहित्यिक आयामों के गहरे प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती। दूसरी ओर जब हम यह देखते हैं कि इस किताब ने किस प्रकार अरबों के बीच प्रेम व मित्रता की आत्मा फूंक दी और इस समय भी यह लोगों के जीवन में क्या भूमिका निभा रही है तो हम सोचने पर विवश हो जाते हैं। क़ुरआन एक ऐसी किताब है जिसने सशक्त साहित्य के माध्यम से प्रचलित एवं व्यापक शब्दों व भाषा को अस्तित्व प्रदान किया है और इस बात की अनदेखी करना संभव नहीं है। प्रोफ़ेसर इयान हियारपे कहते हैं कि आज हम एक वैश्विक गांव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और इस्लाम भी इसका एक भाग है अतः इस्लाम द्वारा निर्मित वैचारिक आदर्श की अनदेखी नहीं की जा सकती जिसका स्रोत क़ुरआना है। आज पश्चिम में इस्लाम के बारे में लिखे जाने वाली हज़ारों किताबें और लेख, विश्व के इस क्षेत्र में इस्लाम व क़ुरआन की सक्रिय उपस्थिति के सूचक हैं। पश्चिम के विश्वविद्यालयों में इस्लाम के संबंध में पढ़ाए जाने वाले अनेक विषय भी इस बात का प्रमाण हैं। यही कारण है कि युरोप के रहने वालों के लिए क़ुरआन का विशेष महत्व है और उसकी पहचान हमारे लिए आवश्यक है। अंत में क़ुरआन के बारे में सबसे सटीक बात हज़रत अली अलैहिस्सलाम के माध्यम से सुनिए जो कहते हैं कि कोई भी क़ुरआन की संगत में नहीं बैठा सिवाए इसके कि जब वह उसके पास से उठा तो उसमें कुछ कमी और वृद्धि हुई, मार्गदर्शन में वृद्धि और हृदय के अंधकार में कमी। http://hindi.irib.ir