नमाज़े जुमा की अहमियत

नमाज़े जुमा के बारे में भी इमाम अलैहिस सलाम ने नहजुल बलाग़ा में बहुत ताकीद फ़रमाई है:

पहली हदीस

जुमे के दिन सफ़र न करो और नमाज़े जुमा शिरकत करो मगर यह कि कोई मजबूरी हो। (1)

दूसरी हदीस

इमाम अली अलैहिस सलामा जुमे के ऐहतेराम में नंगे पांव चल कर नमाज़े जुमा में शरीक होते थे और जुते हाथ में ले लेते थे। (2) ................................................................................. 1. नहजुल बलाग़ा ख़त 69 2. दआयमुल इस्लाम जिल्द 1 पेज 182