सवेरे-सवेरे-२५
सवेरे-सवेरे-२५
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आज के जीवन में जिस बात का आभास हर व्यक्ति को होता है और जिससे हर एक चिंतित रहता है वह है समय का हाथ से बड़ी तेज़ी से निकलना। सारे काम पड़े रह जाते है चिन्ता बनी रहती है और समय नहीं मिल पाता । इस कठिनाई से छुटकारे के लिये आवश्यक है कि समय का सही ढ़ंग से प्रबन्धन किया जाये। प्रबन्धन के लिये आवश्यक है कि आप सब से पहले यह तय करें कि कौन सा काम सब से अधिक महत्वपूर्ण है, सबसे अधिक आवश्यक है और त्वरित है अर्थात यदि इसे तुरन्त न किया गया तो बहुत अधिक नुक़सान हो जायेगा। समय के प्रबन्धन में अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये लोगों को बीस और अस्सी का अनुपात सदैव याद रखना चाहिये। क्योंकि कि इस नियम के अनुसार लोगों के जीवन में जो कठिनाइयां होती हैं उनमें से केवल बीस प्रतिशत वास्तविक होती हैं और अस्सी प्रतिशत इसी बीस प्रतिशत पर आधारित या उससे जुड़ी हुई होती हैं। अत: हमें चाहिये कि अपने कामों या समस्याओं का उनके महत्व के अनुसार वगीर्करण करें। समय का अच्छी तरह प्रबन्धन करने के लिये कई कामों को हमें सामने से हटाना होगा। यदि आपने सभी कामों को करने की ठान ली तो आपके मन पर निरन्तर बोझ रहेगा और अति आवश्यक कामों को सही समय पर नहीं कर सकेंगे। - सब से पहले अधिक महत्वपूर्ण कार्यों पर मन को केन्द्रित करें। - एक समय में एक काम पर ही ध्यान रखें। - कामों को इस प्रकार प्रभावी रूप से कर कि उनके परिणाम से आप सन्तुष्ट हो सकें। - सब कामों में परिपूर्णता तक पहुंचना आवश्यक नहीं होता। अपने कामों को अपनी शारीरिक शक्ति के अनुसार करें। - यह भी याद रखें कि काम करने की जितनी क्षमता सुबह सवेरे होती है वह दूसरे समय में नहीं होती। देखिये खाध पदार्थ कई शैलियों से हमारे शरीर में मौजूद हारमोन्ज़ के स्तर को परिवर्तित करके स्ट्रेस को समाप्त कर देते हैं। उदाहरण स्वरूप जौ का सूप या जौ की रोटी, सेरोटोनीन नामक एक रासायनिक पदार्थ के स्तर को ख़ून में बढ़ा देती है। यह पदार्थ तनाव को कम करने वाला होता है। इसी प्रकार कुछ दूसरे खाघ पदार्थ कोर्टीज़ोल और एडरोनैलिन नामक हारमोन्ज़ के स्तर को नीचे लाकर स्ट्रेस अर्थात मानसिक तनाव को कम करते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ शरीर की सुरक्षा प्रणाली को शक्ति प्रदान करते , तो कुछ दूसरे पदार्थ रक्त चाप को कम करके स्ट्रेस को समाप्त करते हैं। आइये देखें कि वह कौनसी चीज़ें हैं जो मानसिक तनाव से बचने के लिये आप को प्रयोग करनी चाहिये। १) ऐसे फल जिनमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है जैसे संतरा, मौसमी, नीबू, आंवला आदि। विटामिन सी रक्त चाप और स्ट्रेस उत्पन्न करने वाले हारमोन कोरटीज़ोल के स्तर को नीचे लाकर मन को शान्ति प्रदान करता है। २) पत्ते वाले सब्ज़ियों का सेवन जिनमें सर्वोपरि पालक है शरीर को मेनीज़ियम की आपूर्ति करता है। एक कटोरी पालक के सेवन से मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न होने वाला सिर दर्द और थकान दूर हो जाती है। यदि पालक पसन्द नहीं है तो सोया या मछली को अपने खाने में शामिल किया करें। याद रखें कि अधिक तेल मसाले खाघ पदार्थथों की विशेषताओं को समाप्त कर देते हैं। यदि स्वस्थ रहना हैं तो भाप पर पकाये गये या उबले हुये खाने खायें। फ़ार्सी के एक कवि अरज़ी का एक शेर दखा। शेर इस प्रकार था।:
چنان با نیک و بد سر کن که بعد از مردنت عرضی
مسلمانت به زمزم شوید و هندو بسوزاند
अर्थात भलाई और बुराई के साथ इस तरह निबटारा करो कि तुम्हारे मरने के बाद मुसलमान तुम्हें ज़मज़म से नहलायें और हिन्दू तुम्हें जलाने की कामना करें। लोगों के साथ चाहे वे अच्छे हों या बुरे सदव्यवहार करना चाहिये । सद्व्यवहार में आकर्षण, प्रेम मिलनसारी, बराबरी, बरादरी, सपंर्क, संबंध, सहनशीलता आदि बहुत कुछ शामिल होता है। अच्छे बुरे सब के साथ निर्वाह का यह अर्थ नहीं है कि आप अपने विश्वास और विचार सब कुछ किनारे लगा कर लोगों से प्रेम प्रकट करने और उन से सद्व्यवहार करने में लग जायें या फिर सब के साथ दोस्ती गांठने लगें और हर प्रकार के विचारों के अनुसार स्वंय को ढाल लें। देखिए हर मनुष्य की अपनी एक विशेष विचार धारा होती है, उसे अपनी विचार धारा की रक्षा के साथ ही सत्यवादी दृढ़ संकल्पित और स्पष्ट रूप से बात करने वाला होना चाहिये। यह विशेषतायें यदि न हों तो मनुष्य का अपना मूल्य गिर जाता है और तब अच्छें बुरे सब के साथ निर्वाह को चापलूसी का नाम दिया जाता है। लोगों से अच्छी तरह निर्वाह करने वाले लोग सूर्य की भान्ति हैं जो अच्छे बुरे सब पर प्रकाश डालता है, मन की धरती पर शीतल वर्षा बन कर बरसते हैं वे ऐसी नदी की भान्ति होते हैं जो अपने जीवन के मार्ग पर सब ही लोगों को तृप्त और लाभान्वित करते है। उनके हाथों पैरों ज़बान और क़लम से कृपा और अनुकंपा फैलने के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता उनकी प्रवृत्ति ऐसी होती है कि अपने अस्तित्व की गहराईयों से लोगो। से प्रेम करते हैं, अच्छे बुरे में उनका साथ देते हैं। आइये हम और आप ऐसे ही बन जायें। गर्दन का दर्दचिकित्सकों के कथनानुसार हर दस व्यक्तियों में से सात व्यक्ति अपने जीवन में गर्दन के दर्द से पीड़ित रहते हैं। गर्दन और कन्धों में दर्द बहुत जल्दी होने लगता है। बताया जाता है कि नब्बे प्रतिशत सिर के दर्द का कारण गर्दन का दर्द होता है। यहां पर हम आपको गर्दन के दर्द को रोकने या उससे बचने के कुछ उपाय बता रहें हैं।
गर्दन में यदि दर्द हो तो या गर्दन पर बहुत ही धीरे धीरे ज़ैतून का तेल मलें या बर्फ़ को किसी थैली में रख कर उससे सिकाई करें। गर्दन को उचित स्थिति में रखें ताकि गर्दन और कन्धों के बीच सन्तुलन बना रहे। काम्पयुटर या लैपटाप पर काम करते समय गर्दन को रीढ़ की हड़डी की सीध में रखें। ऊंची एड़ी वाले जूते और सैन्डिल न पहने। महिलाओं में गर्दन और कन्धों का दर्द पुरूषों की तुलना में अधिक पाया जाता है। - ड्राइविंग करते समय अपनी सीट को इस प्रकार सही करें कि आपकी गर्दन सीधी रहे। - व्यायाम करना कभी न भूलें इससे गर्दन की मांस पेशियाँ स्वस्थ रहती हैं। तिल के दाने लोहा, ज़िन्क और कैल्शियम शरीर में पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ऐसे लोग जो दूध का सेवन नहीं करते या नहीं कर पाते उन्हें तिल का सेवन विभिन्न रूपों में करना चाहिये। तिल के दानों में बीस पच्चीस प्रतिशत प्रोटीन, पचास प्रतिशत चर्बी और इतना ही तिनों लेइक तथा भूखि एसिड भी होता है। तिल के तेल से ख़ून में मौजूद कोलेस्ट्रोल और ट्राईग्लीसेराइड न केवल यह कि नहीं बढ़ता बल्कि बुरे कोलेस्ट्रोल को कम भी करता है। खाधा पदार्थों में तिल मिलाने से उनका सकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है। उदाहरण स्वरूप गेहूं और जो के साथ तिल के सेवन से आधार का महत्व व उपयोगिता बढ़ जाती है। कुछ माता पिता यह शिकायत करते पाये जाते हैं कि उनके बच्चे या बच्चों को दूध और मांस के प्रति कोई आकर्षण नहीं है। ऐसे माता मिता को चाहिये कि चावल और दालों में जैसे मसूर, उड़द और सोया आदि में थोड़ा तिल डाल दें तो इनके सेवन से बच्चों के शरीरिक विकास के लिये आवश्यक प्रोटीन और खनिज पदार्थों की पूर्ति हो जायेगी । कहने का अर्थ यह है कि तिल और उसके तेल दोनों का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिये लाभ दायक है।