नमाज़े तहज्जुद

नमाज़े शब या नमाज़े तहज्जुद एक मुसतहब्बी नमाज़ है जिस की गयारह रकतें हैं आठ रकअत नमाज़े शब की नीयत से, दो रकअत नमाज़े शफ़ा की नीयत से और एक रकअत नमाज़े वित्र की नीयत से पढ़ी जाती है, नमाज़े शफ़ा के अंदक क़ुनूत नही होता और नमाज़े वित्र एक रकअत है जिस में कुनूत के साथ चालीस मोमिनीन का नाम लिया जाता है। यह नमाज़ मासूमीन (अ) पर वाजिब होती है। मासूमीन (अ) ने इस नमाज़ की बहुत ताकीद की है। चूं कि इस के फ़वायद बहुत ज़्यादा है।

नमाज़े शब की बरकात

1. नमाज़े शब तंदरुस्ती का ज़रिया है।

2. ख़ूशनूदी ए ख़ुदा का ज़रिया है।

3. नमाज़े शब अख़लाक़े अंबिया की पैरवी करना है।

4. रहमते ख़ुदा का बाइस है। (1)

इमाम अली (अ) नमाज़े शब की अज़मत को बयान करते हुए फ़रमाते हैं:

मैंने जब से रसूले ख़ुदा (स) से सुना है कि नमाज़े शब नूर है तो उस को कभी तर्क नही किया हत्ता कि जंगे सिफ़्फ़ीन में लैलतुल हरीर में भी उसे तर्र नही किया। (2) .................................................................................

1. क़ुतबुद्दीन रावन्दा, अद दअवात पेज 76 2. बिहारुल अनवार जिल्द 4