युवा पापी
युवा पापी
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पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन लेखकः आयतुल्ला अनसारियान स्वर्गीय मुल्ला फ़्तहुल्लाह काशानी ने “मनहजुस्सादेक़ीन” नामी क़ुरआनी व्याख्या मे तथा आयतुल्ला कलबासी ने “अनीसुल्लैल” नामी पुस्तक मे इस घटना का उल्लेख किया हैः मालिके दीनार के समय मे एक पापी तथा अवज्ञाकारी व्यक्ति की मृत्यु हो गई, लोगो ने उसके पापो के कारण उसका अंतिम संसकार (तजहीज़ो तकफ़ीन) नही किया, बल्कि एक गंदे स्थान कूड़े के ढ़ेर पर डाल दिया। मालिके दीनार मे रात को स्वप्न देखा कि ईश्वर का आदेश है किः हमारे उस बंदे (सेवक) को वहा से उठाओ तथा उसको ग़ुस्ल व कफ़न के पश्चात धर्मीलोगो के कबरिस्तान मे अंतिम संसकार करो, मालिके दीनार ने कहाः ईश्वर ! वह व्यक्ति बुरे चरित्र वालो तथा फ़ासिक़ो मे से था, कैसे तथा किस चीज़ के आधार पर वह दरबारे आहदियत मे मुक़र्रब बन गया? उत्तर मिला उसने अंतिम अवसर पर रोते हुए इस वाक्य को पढ़ाः
يا مَنْ لَهُ الدُّنيا وَ الآخِرَةُ إرْحَمْ مَن لَيْسَ لَهُ الدُّنيا وَ الآخرَةُ
“या मन लहूद्दुनिया वल आख़ेरा इरहम मन लैसा लहुद्दुनिया वल आख़ेरा” (ऐ वह जो दुनिया तथा आख़ेरत (लोक एंवम परलोक) का मालिक है उस व्यक्ति पर दया कर जिसके पास ना दुनिया है और ना आख़ेरत) हे मालिक, कौन ऐसा दर्दमंद है जिसके दर्द का हमने उपचार ना किया हो? और कौन ऐसा आवश्यकता रखने वाला है जो हमारे दरबार मे रोए और हम उसकी आवश्यकता को पूरा ना करें?[1]