सवेरे सवेरे-16
सवेरे सवेरे-16
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पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का कहना है कि ईश्वरीय अनुकंपा और स्थाई भलाइयां, आपके बूढ़ों के दम से होती हैं। हमारे बड़े-बूढ़ों और बुज़ुर्गों ने पूरे परिवार के लिए एक लंबी अवधि तक बड़े प्रेम और निष्ठा के साथ कठिन परिश्रम किया। उन्होंने हमारी न जाने कितनी बुरी बातों को यह सोचकर सहन किया कि यह नासमझ हैं। हम बीमार पड़े तो वे व्याकुल रहे हैं। वे हमारे लिए हाथ-पैर, पैसे, किसी भी प्रकार की सेवा आदि से पीछे नहीं हटे अतः इस आयु में हमें उनको अपने लिए बोझ नहीं समझना चाहिए। बड़ी आयु वाले लोग, अनुभवों का ख़ज़ाना होते हैं। उनके अनुभवों से हमें लाभ उठाना चाहिए। उन्हें अपने पारिवारिक मामलों में सम्मिलित करना चाहिए और यदि शारीरिक और मानसिक रूप से वे बहुत कमज़ोर हो गए हों तो भी उनकी देखभाल, उनका सम्मान और उनसे प्रेम करके हम जाने-अनजाने में अपने बुढ़ापे को अच्छी तरह बीतने की ज़मानत ले लेते हैं क्योंकि घर के बच्चे हमसे ही सीखते हैं कि बड़ों का सम्मान कैसे करना चाहिए। एक बात और बता दें कि धार्मिक पुस्तकों में मिलता है कि यदि मुहल्ले के किसी एक घर में कोई वृद्ध मौजूद होता है तो उसके कारण न जाने कितने घरों तक ईश्वर की कृपा की वर्षा होती है। अतः आप अपने बड़े बूढ़ों का सम्मान करें ताकि आप पर ईश्वर की कृपा दृष्टि हो और अगली पीढ़ियां आपका सम्मान करें। हड्डियों के खोखलेपन या अस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए शरीर में कैल्शियम पहुंचाना बहुत आवश्यक होता है। शरीर के सभी ऊतकों में जिस प्रकार से पुरानी कोशिकाएं टूटती-फूटती और नई कोशिकाएं बनती रहती हैं, उसी प्रकार हड्डियों में भी टूटफूट तथा नवीनीकरण का क्रम जारी रहता है। इस कार्य के लिए कैल्शियम की निरंतर आवश्यकता रहती है। यह आवश्यकता आयु बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती रहती है। कैल्शियम की आपूर्ति के बारे में डाक्टरों का कहना है कि मनुष्य को दूध और उससे बनी चीज़ों के सेवन की ओर से लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि आप दूध नहीं पी सकते तो दही, पनीर, मट्ठा आदि का सेवन कर सकते हैं। यहसब आपको कैल्शियम पहुंचा सकते हैं। सोया से बना हुआ दूध ही आपके शरीर में काफ़ी मात्रा में कैल्शियम पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त सब्जी-तरकारी खाकर भी आप कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं किंतु इनमें पाया जाने वाला कैल्शिमय उतनी जल्दी अवशोशित नहीं होता जितनी जल्दी दूध का कैल्शियम अवशोषित हो जाता है। आप पालक, चुक़ंदर, उब्ला हुआ लोबिया, तिल तथा पनीर को मिलाकर मज़ेदार सलाब तैयार करें और इनके माध्यम से अपनी हड्डियों में कैल्शियम पहुंचाएं। प्रतिदिन पन्द्रह मिनट धूप में अवश्य बैठें ताकि विटमिन-डी आपके शरीर में बन सके। विटमिन-डी और कैल्शियम का चोली-दामन का साथ होता है। आप यदि काफ़ी पीने के आदी हैं और उसे बिना दूध के पीना चाहते हैं तो प्रतिदिन दो प्याली से अधिक न पियें। मांस वाले खाद्य पदार्थों का बहुत अधिक सेवन भी शरीर में कैल्शियम की आवश्यकता को बढ़ा देता है अतः मांस और अंडे का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। आंखों की कमज़ोरीः चालीस वर्ष की आयु के आसपास अधिकतर लोगों में आंखों की कमज़ोरी के चिन्ह उत्पन्न होने लगते हैं। इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे जलवायु की परिस्थतियां, आनुवांशिक होना, खानपान या फिर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति। जब मनुष्य की आयु बढ़ती है तो उसकी आंखों के अंदर के लैंस कड़े होने लगते हैं और इनको अपने स्थान पर रखने वाली मांसपेशियां ही कमज़ोर पड़ने लगती हैं। एसे में लैंस को फैलाना और झुकाना कठिन हो जाता है। परिणाम स्वरूप किसी वस्तु की ओर से जो प्रकाश आंखों में प्रविष्ट होता है वह आंख के पिछले भाग में स्थित रेटिना या दृष्टिपटल पर केन्द्रित नहीं होता अतः चीज़ें स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं लेकिन आप इससे चिन्तित न हों यदि आप अपने आठ घण्टे की नींद पूरी करें, गाजर और विटमिन-सी वाले फलों का सेवन करें तो चूंकि इनमें एंटी आक्सीडेंट होता है तो वह आंखों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। गर्म क्षेत्र में रहने वालों के लिए धूप का चश्मा लगाना भी आवश्यक होता है ताकि आंखें कमज़ोर न होने पाए। ख़ून की कमीः शरीर में ख़ून की कमी उस स्थिति को कहते हैं जिसमें ख़ून के लाल कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी हो जाती है। जो लोग जल्दी ग़ुस्से में आ जाते हैं या फिर मौसम बदलते समय जल्दी बीमार पड़ जाते हैं, सीढ़ियों से चढ़ते-उतरे समय हांफने लगते हैं, नींद में बेचैन रहते हैं, डरावने सपने देखते हैं और धबराहट के साथ सोकर उठते हैं। यह सब उनमें ख़ून की कमी के लक्ष्ण हैं। ख़ून की कमी, लोगों के व्यवहार पर भी प्रभाव डालती है। एसे लोग जल्दी परेशान हो जाते हैं, खाना खाने में उन्हें रूचि नहीं होती और यदि खाते हैं तो वैसी चीज़ें जो शरीर की आवश्यकताओं की आपूर्ति नहीं करतीं। आप अपनी खाने की आदतें बदबलें और डाक्टर से सलाह अवश्य लें। अदरकः खाद्य विशेषज्ञ मरियम मोरादाफ़ कहती हैं कि अदरक शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों एवं जोड़ों के रोगों में बहुत सहायक सिद्ध होती है। इसके अतरिक्त अरदर, जी मिचलाने को भी रोकती है। यह विशेषता अदरक में दूसरी अन्य वनस्पतियों से बहुत अधिक है। यात्रा के दौरान चक्कर और मतली को रोकने, इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं की मतली को रोकने में बहुत प्रभावी सिद्ध होती है। यात्रा आरंभ करने से लगभग एक घण्टा पूर्व आधा या एक ग्राम अदरक का पाउडर हल्के गर्म पानी में घोलकर यदि पी लिया जाए तो यह मतली को रोकने में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। अदरक शरीर के भीतर मेटोबोलिज़्म कई बढ़ा देती है इसिलए बदहज़्मी और दस्त में भी इसे प्रयोग किया जा सकता है। खाद्य विशेषज्ञ मरियम मोरादाफ़ कहती हैं कि कैमोथैरेपी के बाद होने वाली मतली को रोकने में भी अदरक साहयक सिद्ध होती है। http://hindi.irib.ir/